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निरंकार शिव: जहाँ रूप भी मौन हो जाता है

by Namita Mahajan
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क्या आपने कभी ध्यान दिया है? हमारी घड़ियाँ चलती हैं, हमारा फ़ोन बजता है, और दिमाग में विचारों का शोर कभी नहीं थमता। हम रूप, नाम और समय की उलझनों में इस कदर फँस चुके हैं कि हमें अपनी ही आवाज़ सुनाई नहीं देती। लेकिन क्या कोई ऐसी जगह है जहाँ यह शोर थम जाता है? जहाँ पहचान हमारे पद, धन या नाम से नहीं, बल्कि केवल शुद्ध अस्तित्व से होती है? सनातन परंपरा में उसी रूप से परे चेतना को शिव निरंकार कहा गया है — जहाँ रूप, शब्द और समय सब थम जाते हैं।

Mahakaleshwar Jyotirlinga

हम में से अधिकांश के लिए महादेव की छवि जटाजूटधारी, गले में सर्प और हाथ में त्रिशूल लिए एक साकार रूप की होती है। यह उनका सगुण स्वरूप है, जो भक्ति और प्रेम को जन्म देता है। परंतु क्या एक ऐसी विराट चेतना को किसी आकार या नाम में बांधा जा सकता है जो पूरी सृष्टि का आधार है?

एक अंतरराष्ट्रीय प्रमाणित बिज़नेस कोच (ICC Certified Business Coach), एनएलपी (NLP) विशेषज्ञ, औरमार्केटिंग कम्युनिकेशन के 30 वर्षों के अनुभव के आधार पर, हमारा मानना है कि शिव निरंकार का दर्शन केवल आध्यात्म नहीं है—यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतुलन प्राप्त करने की सर्वोत्तम चेतना है।

यह आलेख आपको ज्योतिर्लिंगों की ऊर्जा से लेकर शिव ध्यान और मौन की यात्रा पर ले जाएगा। यह समझना ही लेख का केंद्र है कि निरंकार शिव वह मौन चेतना हैं जो हर रूप में व्याप्त है। आओ, इस अनंत मौन की खोज करें।

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निरंकार का अर्थजब ईश्वर रूप से मुक्त हो जाए

‘निरंकार’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है: ‘निर्’ (बिना/रहित) और ‘आकार’ (रूप/सीमा)। यानी, रूप से रहित अस्तित्व। जब हम सीमाओं से परे देखते हैं, तब शिव केवल देव नहीं, बल्कि चेतना के अनुभव बन जाते हैं।

मानव मन को हर वस्तु को समझने के लिए एक रूप या आकृति चाहिए। इसीलिए हमने ब्रह्मा, विष्णु और महेश के भव्य रूप गढ़े। परन्तु, जब आप शिव1 तत्व की गहराई में उतरते हैं, तो ज्ञात होता है कि उनका मौलिक स्वरूप समय, नाम और भौतिकता से परे है। आदि योगी शिव का यह स्वरूप न दिखता है, न छुआ जा सकता है — पर वह हर अनुभव में, हर कण में विद्यमान है।

जैसे, हवा का कोई आकार नहीं होता, पर हम उसके बिना जी नहीं सकते। ठीक उसी तरह, निरंकार ईश्वर वह अदृश्य, अनंत शक्ति है जो इस ब्रह्मांड को संचालित कर रही है। यह केवल ‘बिना रूप’ होना नहीं है, बल्कि ‘सभी रूपों में व्याप्त होना’ है। यह बोध ही हमें शिव ध्यान और मौन की ओर ले जाता है।

1️⃣ शिव का निरंकार स्वरूप — सृष्टि, मौन और चेतना का संगम

शिव का निरंकार रूप किसी मूर्ति में नहीं, बल्कि उस चेतना में है जो सृष्टि को जन्म देती और पुनः समेट लेती है। यह वह शक्ति है जो पंचतत्वों के स्वामी को भी अपने नियंत्रण में रखती है।

Shiv Nirankar meaning

2️⃣ पारलौकिक चेतना (Transcendental Consciousness)

शिव वह पारलौकिक चेतना हैं जो सृष्टि से पहले भी थी और अंत के बाद भी रहेगी। उनका ध्यान हमें भीतर की अनंतता से जोड़ता है। जब हम अपनी पहचान शरीर और मन से हटाकर उस शुद्ध चेतना से जोड़ते हैं, तो हम शिव के निकट होते हैं। यह वह अवस्था है जहाँ ‘मैं’ और ‘मेरा’ मिट जाता है।

3️⃣ विरोधाभासों का संतुलन (Balance of Opposites)

निरंकार शिव ही सृजन और संहार का चक्र चलाते हैं। वह एक ओर परम योगी हैं, तो दूसरी ओर नटराज बनकर शिव का तांडव करते हैं। वह सिखाते हैं कि स्थिरता (मौन) और गति (सृजन) एक ही ऊर्जा के दो रूप हैं। उनका तांडव न केवल विनाश है, बल्कि नवीनीकरण का नृत्य है। हर अंत में एक आरंभ छिपा है — यही निरंकार का लय है।

4️⃣ करुणा और संरक्षण (Compassion & Protection)

नीलकंठ बनकर उन्होंने विष पिया। यह उनके निरंकार प्रेम का प्रतीक है, जो स्वयं को त्यागकर भी सृष्टि को बचाता है। निरंकार होने का अर्थ शक्तिहीन होना नहीं, बल्कि उस उच्चतम शक्ति का धारक होना है जो शांति और करुणा को भी धारण करती है। यह समर्पण ही है जो शक्ति को जन्म देता है। ठीक ऐसे ही, हनुमान: भक्ति और शक्ति का निरंकार मेल हमें सिखाता है कि विराट शक्ति का स्रोत अहंकार नहीं, बल्कि पूर्ण समर्पण है। इसी समर्पण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है विष्णु अवतार श्री राम: भक्ति से शिव की उपासना, जिन्होंने रामेश्वरम में महादेव की स्थापना की।

ज्योतिर्लिंग क्या है: निरंकार शिव की ज्योति का प्रकाश

बारह ज्योतिर्लिंग शिव के ज्योति स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं । ‘ज्योतिर्लिंग’ का शाब्दिक अर्थ है ‘प्रकाश का स्तंभ’ (Pillar of Light) या ‘दिव्य ज्योति’। यह ज्योति, यह प्रकाश, किसी भौतिक रूप में बंधा नहीं है—यह शुद्ध ऊर्जा है , जो हमें निरंकार की याद दिलाती है ।

मंदिर में ध्यानमग्न भगवान शिव की प्रतिमा
महाकाल — समय का अनंत साक्षी

हर ज्योतिर्लिंग एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का केंद्र है । इन स्थानों पर साकार रूप में पूजा करके भी हम, वास्तव में, रूप से परे चेतना से जुड़ते हैं । इन सभी ज्योतिर्लिंगों में बहने वाली ऊर्जा का मूल एक ही है: शिव निरंकार । यह ज्योति हमें यह बोध कराती है कि कण-कण में शिव व्याप्त हैं, और उस परम चेतना तक पहुँचने का मार्ग हमारे भीतर ही प्रकाशित है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और ओंकारेश्वर मंदिर जैसे बारह ज्योतिर्लिंग निरंकार शिव के दो पहलू हैं — एक समय का साक्षी, दूसरा सृष्टि का नाद। महाकाल हमें समय की अनंत शक्ति और अपनी नश्वरता की सीमाएँ दिखाते हैं। महाकाल की यह चेतना ही काल की गणना और हिंदू पंचांग का विज्ञान है, जो हमें समय के अनंत चक्र से जोड़ता है। वहीं, ओंकारेश्वर “ॐ” की अनंत ध्वनि से हमें अस्तित्व की एकता सिखाते हैं…

निरंकार शिव और हिमालय की निस्तब्धता

हिमालय में शिव का निवास उनकी निरंकारता का सबसे बड़ा प्रमाण है। हिमालय की चुप्पी, बर्फ की चमक और हवा की गूंज — सब शिव के मौन स्वरूप की याद दिलाते हैं।

उत्तराखंड में केदारनाथ के निकट चोराबाड़ी ताल (गांधी सरोवर) जैसे स्थान आत्मा के भीतर उतरने का आमंत्रण हैं। हिमालय की निस्तब्धता में बैठकर शिव ध्यान और मौन का अभ्यास करने वाले जानते हैं कि यहाँ कोई शब्द नहीं, केवल अनुभव है — यही शिव का निरंकार है। प्रकृति में जब हम मौन को सुनते हैं, तो हमें शिव का साक्षात्कार होता है। यहाँ आकर मन का कोलाहल शांत होता है और उस आदि योगी शिव की ऊर्जा से जुड़ने का अवसर मिलता है।

महाकाल से ओंकार तक: बारह ज्योतिर्लिंगों की अनंत यात्रा

बारह ज्योतिर्लिंग शिव के ज्योति स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो किसी भौतिक रूप में बंधा नहीं है—यह शुद्ध ऊर्जा है, जो हमें निरंकार की याद दिलाती है । इन तीर्थों के माध्यम से शिव निरंकार हमें समझाते हैं कि भक्ति की यात्रा भीतर ही पूरी होती है ।

ये दोनों मिलकर हमें शिव निरंकार की अनुभूति कराते हैं — मौन और नाद का संतुलन। घंटी का प्रतीकात्मक महत्व भी यही है: मंदिर में बजने वाला वह नाद हमें बाहरी शोर से खींचकर, वर्तमान क्षण में लौटने का संकेत देता है।

महादेव के बारह ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग हमें उनकी अनंत चेतना के विभिन्न आयामों से जोड़ते हैं 3। इन सभी केंद्रों में बहने वाली ऊर्जा का मूल एक ही है: शिव निरंकार । यहाँ सभी बारह ज्योतिर्लिंगों और उनके प्रतीकात्मक अर्थ का संक्षिप्त विवरण है:

  1. सोमनाथ (गुजरात): विश्वास और पुनर्निर्माण का प्रतीक, जहाँ चंद्रमा ने अपनी कांति वापस पाई थी।
  2. श्री शैल मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश): शक्ति और कोमलता का संगम, जहाँ शिव और पार्वती एक साथ निवास करते हैं।
  3. महाकालेश्वर (उज्जैन): यह समय का साक्षी है 5। यहाँ महाकाल हमें समय की अनंत शक्ति और अपनी नश्वरता की सीमाएँ दिखाते हैं
  4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश): यह सृष्टि का नाद है, जहाँ “ॐ” की अनंत ध्वनि अस्तित्व की एकता सिखाती है ।
  5. केदारनाथ (उत्तराखंड): हिमालय में शिव का निवास उनकी निरंकारता का सबसे बड़ा प्रमाण है 8। यह आत्मिक शांति और आदि योगी शिव की ऊर्जा का केंद्र है। केदारनाथ मंदिर से 3 कि.मी. ऊपर स्थित चोराबाड़ी ताल (Gandhi Sarovar) मौन साधना का आमंत्रण है।
  6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र): यह जीवन के संघर्षों पर विजय और करुणा का प्रतीक है।
  7. काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश): ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रकाश स्तंभ, जो ज्ञान और मोक्ष का द्वार है।
  8. त्र्यम्बकेश्वर (महाराष्ट्र): यह तीनों लोकों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के तत्वों का प्रतीक है।
  9. वैद्यनाथ (झारखंड/महाराष्ट्र): यहाँ शिव ‘वैद्य’ (चिकित्सक) के रूप में भक्तों को रोगों से मुक्ति देते हैं।
  10. नागेश्वर (गुजरात): यह बुराई पर विजय और विष के प्रभाव को दूर करने का प्रतीक है।
  11. रामेश्वरम (तमिलनाडु): भगवान राम द्वारा स्थापित, यह भक्ति और समर्पण की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
  12. घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र): यह अटूट भक्ति और त्याग का प्रतीक है।

निरंकार शिव हमें इन तीर्थों के माध्यम से समझाते हैं कि भक्ति की यात्रा भीतर ही पूरी होती है।

शिव निरंकार
Ganga Aarti at Kashi Vishwanath

आधुनिक जीवन में निरंकार दर्शन की प्रासंगिकता

आज की शोरगुल भरी दुनिया में, जहाँ मन निरंतर भाग रहा है, शिव का निरंकार रूप हमें भीतर की शांति और संतुलन लौटाना सिखाता है। निरंकार दर्शन हमें सिखाता है:

  • निष्काम कर्म: कर्म में लगकर भी उसके फल के प्रति निष्काम बने रहना ही शिवत्व है। यह संसार के प्रति अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते हुए भी, स्वयं को उनसे मुक्त रखने का विज्ञान है।
  • मौन की शक्ति: ध्यान और साधना के क्षणों में “मैं” और “मेरा” का विचार मिटने लगता है। मौन में रहकर भी जगत के प्रति करुणामय रहना ही निरंकार जीवन है।
  • अद्वैत बोध: यह समझना कि आप और शिव अलग नहीं हैं। जो चेतना पूरे ब्रह्मांड में है, वही आपके भीतर है। यह निराकार ईश्वर का सबसे बड़ा रहस्य है।

निरंकार शिव हमें सिखाते हैं — साधना बाहर नहीं, भीतर होती है।

यह वीडियो शिव का अलौकिक स्वरूप: क्या है शिवत्व की चेतना का रहस्य? विस्तार से जानिए शिव के लौकिक और अलौकिक, यानी साकार और निराकार स्वरूपों के गूढ़ दर्शन की व्याख्या करता है, जो इस लेख के विषय निरंकार शिव के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ): शिव निरंकार

शिव को निराकार होते हुए भी साकार रूप में क्यों पूजा जाता है?

यद्यपि शिव निराकार चेतना हैं, फिर भी उनका साकार रूप हमें उस अदृश्य शक्ति से जोड़ने का माध्यम बनता है। शिवलिंग उनकी अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, और उनका मानवीय रूप भक्ति, योग और संरक्षण का आदर्श दर्शाता है।

शिव की उत्पत्ति कैसे हुई?

शिव की कोई उत्पत्ति नहीं मानी जाती, क्योंकि वे स्वयं अनादि और अनंत हैं। वे सृष्टि से पहले की चेतना हैं — जो न जन्म लेते हैं, न नष्ट होते हैं। वे स्वयंभू हैं, अर्थात् अपने ही प्रकाश से प्रकट हुए। शिव ही आरंभ, मध्य और अंत तीनों का आधार हैं।

भगवान विष्णु और शिव में बड़ा कौन है?

शास्त्रों में विष्णु और शिव को एक ही परम तत्व के दो रूप कहा गया है। विष्णु पालन के प्रतीक हैं और शिव संहार व पुनर्जन्म के। दोनों एक-दूसरे में विलीन हैं — जल और तरंग की तरह। इसलिए बड़ा या छोटा नहीं, वे एक ही ब्रह्म की अभिव्यक्ति हैं।

निष्कर्ष: मौन में शिव का आवाहन

शिव निरंकार रूप से नहीं, अनुभव से प्रकट होते हैं। वे न तो दिखते हैं, न ही उन्हें छूकर महसूस किया जा सकता है — वे तो केवल अनुभूति हैं।

वे वही मौन हैं जो हर श्वास में है, वही प्रकाश हैं 2जो अंधकार को तोड़ता है। जब मन शांत हो जाता है और विचार रुक जाते हैं, तो शब्द नहीं, अनुभूति बोलती है — और वहीं, उस मौन में, शिव प्रकट होते हैं — निरंकार, अनंत और प्रेममय। उनका यह स्वरूप हमें सिखाता है कि जीवन का अंतिम लक्ष्य किसी रूप की पूजा करना नहीं, बल्कि उस शुद्ध चेतना में विलीन होना है जिससे हम बने हैं।

अतिरिक्त संदर्भ

  1. पटेल, एस., एवं रऊफ, ए. (2017). एडेप्टोजेनिक जड़ी-बूटियाँ और तनाव प्रबंधन में उनकी भूमिका। फार्माकोग्नोसी रिव्यूज़, 11(22), 155–160. प्राप्त किया गया: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC5418997/ ↩︎
  2. EBSCO रिसर्च स्टार्टर. (n.d.). शिव (देवता). ईबीएससीओ. प्राप्त किया गया: https://www.ebsco.com/research-starters/religion-and-philosophy/shiva-deity ↩︎

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लेखक के बारे में | About the Author:

Anuj Mahajan एक एक मास कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट, ICF सर्टिफाइड कोच और कॉरपोरेट ट्रेनर, मोटिवेशनल स्पीकर और NLP लाइफ कोच हैं। उनका विशेषज्ञता क्षेत्र फिल्ममेकिंग, बिजनेस कोचिंग, मोटिवेशनल स्पीकिंग, ब्लॉग लेखन और लेखन कला को कवर करता है, जिससे वे बहुआयामी प्रतिभा और विविध क्षेत्रों में निपुणता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

मुख्य परिचालन अधिकारी :  Nuteq Entertainment Pvt Ltd
सह-संस्थापक | Co-Founder: Trendvisionz – A Premier Digital Marketing Agency in India

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